
तेरे बिना जी तो रहे हैं,
पर हर साँस अधूरी लगती है।
जिसे चाहा था उम्र भर के लिए,
वो ही मोहब्बत अधूरी लगती है।💘❤
मिल तो गए थे हम किसी मोड़ पर,
पर किस्मत को ये मंज़ूर ना था।
तेरे साथ की ख्वाहिश थी बहुत,
मगर ये प्यार भी पूरा ना था।💔
वो ख्वाब जो तेरे साथ देखे थे,
अब तन्हा ही पूरे करने की कोशिश है।
तू तो अधूरी कहानी बन गई,
मैं उसका अधूरा किरदार बन गया।💘
कभी-कभी मोहब्बत इतनी गहरी होती है,
कि जुदाई भी साथ लगती है।
तेरा ना होना भी अब इतना अपना है,
कि अधूरी मोहब्बत भी खास लगती है।💕
तेरा मेरा साथ बस वक्त तक था,
मोहब्बत तो आज भी मुकम्मल है।
जिसे तुम अधूरा कहकर छोड़ गए,
हमने उसे ही अपनी दुनिया बना लिया।💔💘
तू मिल तो गया था पर अपना ना हो सका,
ये रिश्ता अधूरा ही सही, पर सच्चा तो था।
तेरी हर याद से बस इतना ही कहना है,
तू दूर सही, पर दिल के पास हमेशा रहेगा।
बिछड़ कर भी तुझसे मोहब्बत की है,
हर रोज़ तुझे खोकर जिया हूं।
तेरी खामोशी में भी मेरी आवाज़ थी,
तू दूर था, फिर भी पास था।
तुझसे मिलना एक ख्वाब था,
और खो देना हकीकत बन गया।
तेरी मोहब्बत अधूरी रही,
पर मेरी वफा आज भी ज़िंदा है।
ना तुझे खोने का डर था,
ना पाने की उम्मीद थी।
बस एक अधूरी मोहब्बत थी,
जो हर दिन पूरी लगती थी।
तू मेरा था, ये सोच कर ही जिए,
तेरे बिना भी तुझसे मोहब्बत किए।
हमने अधूरी मोहब्बत को मुकम्मल माना,
क्योंकि हम आज भी तुझसे वफा किए।

हर रोज़ ख़ुद से एक लड़ाई होती है,
हँसते हुए चेहरे के पीछे रुसवाई होती है।
लोग कहते हैं मज़बूत हूँ मैं,
काश कोई देख पाता कितनी तन्हाई होती है।
ख़ुद से हार जाना, दुनिया से हारने से ज़्यादा मुश्किल होता है,
जब अंदर ही अंदर सब टूट रहा हो, तो बाहर हँसना ज़हर पीने जैसा होता है।
अब ना किसी से शिकवा है, ना कोई उम्मीद बाकी है,
बस खुद से रोज़ सवाल करता हूँ – क्या मैं वाकई इतना ख़ाली हूँ?
आईना देखता हूँ तो नज़रें चुरा लेता हूँ,
ख़ुद से नज़रे मिलाने की हिम्मत भी खो दी है।
वो इंसान जो सबके लिए जीता था,
अब अपनी ही ज़िन्दगी से थक गया है।
हर सुबह उठता हूँ एक नई उम्मीद लिए,
और हर रात सोता हूँ एक हार के साथ।
ये जंग है मेरी, सिर्फ मेरी,
जहां सामने कोई और नहीं, सिर्फ मैं ख़ुद हूँ।
मुस्कुराने की आदत है मुझे,
पर दिल तो हर रोज़ रोता है।
ये जंग जो अपने ही अंदर चल रही है,
अब रूह तक को तोड़ चुकी है।
ख़ुद से सवाल करना अब आदत सी बन गई है,
“क्यों टूटा?” ये पूछना अब शिकायत सी बन गई है।
लोग समझते हैं सब ठीक है,
काश वो देख पाते – अंदर कैसी बगावत सी चल रही है।
कई बार लगता है हार मान लूं,
लेकिन फिर दिल कहता है – “इतना कमजोर कब से हो गया तू?”
यही खींचतान है हर दिन की,
जब दिल कहता है चल, और दिमाग कहता है रुक।
ख़ुद को खो दिया है इस जंग में,
ना कुछ बचा, ना कुछ पाया।
अब तो बस सांसें हैं और एक चुप्पी,
जिसमें खुद की आवाज़ भी खो सी गई है।
लोग कहते हैं खुद से प्यार करो,
पर क्या करूं जब खुद से ही नफरत हो गई हो।
हर पल खुद को ही दोष देता हूँ,
जैसे मेरी हर कमी मेरी सबसे बड़ी सज़ा बन गई हो।

मोहब्बत की थी, खता बन गई,
उससे वफा की, सज़ा बन गई।
जिसे खुदा समझ कर पूजा था,
उसी की बेरुख़ी मेरी दुआ बन गई।
हमने चाहा उन्हें बेपनाह,
उन्होंने दे दी जुदाई की राह।
इस दिल को सिर्फ इतना समझ ना सके,
मोहब्बत निभाई थी, मज़ाक नहीं किया था।
मोहब्बत ने हमें कुछ यूँ रुलाया है,
हर आंसू ने तेरा नाम दोहराया है।
हमने तो दिल देकर मोहब्बत की थी,
पर तूने हर एहसास को ठुकराया है।
तुझसे प्यार करना मेरी भूल थी,
तुझे खुद से ज़्यादा चाहना सज़ा बन गई।
अब हर धड़कन पे नाम तेरा है,
और हर सांस एक सजा सी लगती है।
वो कहते थे – मोहब्बत जन्नत होती है,
हमने तो नर्क ही देख लिया।
तेरे इश्क़ की आग में जलते रहे,
और तू हँसकर सब देख लिया।
जिसे अपना सब कुछ समझा,
वो गैर निकला।
मोहब्बत की सज़ा कुछ यूँ मिली,
कि अब किसी पर भरोसा करना भी मुश्किल निकला।
मेरे इश्क़ की कीमत उसने यूँ चुकाई,
हर मुलाक़ात के बाद एक दूरी बढ़ाई।
मैं समझता रहा इसे नसीब का खेल,
पर असल में उसने ही मोहब्बत से रुसवाई कराई।
सुनाया था मोहब्बत में राहत मिलती है,
पर यहाँ तो बस दर्द की आदत मिलती है।
हमने निभाया हर वादा दिल से,
और बदले में हर रोज़ नई सज़ा मिलती है।
तू मेरी दुआओं का जवाब थी,
और अब मेरे आंसुओं की वजह है।
जिस प्यार को मैंने पूज लिया,
वो मोहब्बत अब सबसे बड़ी सज़ा है।
एक वक़्त था जब तू सब कुछ था,
अब बस यादों की सज़ा रह गई है।
मोहब्बत में सिर्फ दिल नहीं टूटा,
ख़ुद पर से भी यकीन उठ गया है।

जिसे दिल से चाहा, वही दूर हो गई,
हमारे इश्क़ की कहानी अधूरी रह गई।
हर रोज़ उसका इंतज़ार करते रहे,
और मोहब्बत बस यादों में सिमटती रह गई।
मैंने तुझमें खुदा देखा था,
तूने मुझे बस एक लड़का समझा।
तेरे लिए एक फिजूल किस्सा था,
मेरे लिए वो अधूरी मोहब्बत का पहला पन्ना था।
ख्वाब तेरे थे, नींद मेरी टूटती रही,
तेरे बिना हर ख़ुशी अधूरी लगती रही।
तू किसी और की हो गई शायद,
पर मेरी मोहब्बत आज भी वहीं रुकी रही।
तुझसे मोहब्बत करके बस एक बात सीखी,
अधूरी कहानियाँ भी दिल तोड़ जाती हैं।
तेरे साथ बिताए हर लम्हे को संभाला मैंने,
तू बिना अलविदा छोड़ गई, ये बात सालती है।
माना तुझे पाया नहीं,
पर तुझे चाहा तो था दिल से।
तेरे साथ की उम्मीद थी छोटी सी,
पर तूने तो नाम भी मिटा दिया सिलसिले से।
मैंने तुझे अपना समझा,
तूने मुझे कभी चाहा ही नहीं।
मेरे जज़्बात अधूरे रह गए,
और तू मोहब्बत की परिभाषा ही नहीं समझी।
तेरे साथ का हर लम्हा आज भी याद आता है,
पर तू अब किसी और का सपना बन चुका है।
मेरी मोहब्बत अधूरी थी,
मगर सच्ची थी… यही बात आज भी रुला जाती है।
ना तू मेरी हो सकी, ना मैं किसी और का हो पाया,
तेरे जाने के बाद खुद को भी खो बैठा।
तेरे नाम से आज भी धड़कता है ये दिल,
पर अब तुझे पुकारने का हक़ भी नहीं रहा।
तू मिली ही नहीं, इसलिए हर ख्वाब अधूरा है,
तेरे बिना मेरा हर सफर अधूरा है।
कहने को तो जिंदा हूं,
पर तेरे बिना हर जज़्बा अधूरा है।
मेरे इश्क़ की शायद कोई कीमत नहीं थी,
तू चली गई जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।
मैं आज भी वहीं खड़ा हूं जहाँ तू मिली थी,
पर तेरा साया तक अब मेरे पास नहीं आता।

जिसे अपना समझा, उसने ही सबसे गहरा ज़ख्म दिया,
बेवफ़ा कहूं उसे या अपनी मोहब्बत की सज़ा मान लूं?
बेवफ़ा का नाम अब जुबां पर नहीं लाते,
जिसे दिल में बसा लिया, उसे बदनाम नहीं करते।
वो बेवफ़ा निकली, ये सबको बताया,
पर दिल अब भी कहता है — शायद उसने मजबूरी में छोड़ा होगा।
कितना मासूम चेहरा था उसका,
पर दिल बेवफ़ा निकला।
हमने खुदा समझा जिसे,
वो इश्क़ में मज़ाक निकला।
तेरा नाम अब भी दिल में है,
पर तेरे किए पर अब शर्म आती है।
जिसे बेवफ़ा कहा दुनिया ने,
हमने उसे आज भी वफ़ा मान रखा है।
तेरी बातों में जादू था,
तेरी नज़रों में धोखा।
तू बेवफ़ा क्या निकली,
मेरे अंदर का इंसान ही मर गया।
हर किसी की जुबां पर तेरा नाम है,
पर मेरी तन्हाई में सिर्फ तेरी बदनामियाँ हैं।
तू बेवफ़ा निकली, कोई ग़म नहीं,
ग़म तो ये है कि मैंने तुझ पर यकीन किया था।
तू हसीन थी, पर वफ़ा ना थी,
तेरे लबों पर मुस्कान थी, पर सच्चाई ना थी।
अब जब भी कोई तेरे जैसा दिखता है,
दिल कांप जाता है — कहीं फिर से बेवफ़ा ना हो।
बेवफ़ा वो नहीं जो छोड़ कर चली गई,
बेवफ़ा वो थी जो साथ रह कर भी किसी और की थी।
तेरे नाम से अब नफ़रत सी हो गई है,
जिसे चाहा था सबसे ज़्यादा,
वही सबसे बड़ा धोखा बन गई है।

जिसे पूरी दुनिया से बढ़कर चाहा,
उसी ने मुझे सबसे अजनबी बना दिया।
दिल अब भी उसी के लिए धड़कता है,
जिसने इसे तोड़ कर हमेशा के लिए खामोश कर दिया।
टूटे हुए दिल से कोई क्या उम्मीद करे,
जिसे अपना माना, उसी ने रुला दिया।
अब ना मोहब्बत पर यकीन रहा,
ना ही खुद पर एतबार बचा।
दिल लगाया था सोचकर कि सुकून मिलेगा,
पर तूने तो दर्द की दुनिया में फेंक दिया।
अब हर मुस्कान के पीछे एक टूटा हुआ लड़का खड़ा है।
वो कहती थी – “हमेशा साथ रहेंगे”,
आज वही सबसे दूर है।
दिल को समझा नहीं पाया आज तक,
कि मोहब्बत में भी धोखा मिलता है।
हर किसी से छुपाकर तुझे चाहा था,
और तूने ही सबसे पहले मुझे छोड़ दिया।
अब जब भी दिल टूटता है,
तेरा नाम और चेहरा दोनों याद आता है।
मोहब्बत की थी तुझसे बेमिसाल,
और तूने कर दिया मेरा हाल बेहाल।
अब दिल को संभालते संभालते थक गया हूं,
पर तेरी यादों से आज़ाद नहीं हो पाया हूं।
तेरे बाद किसी से दिल नहीं लगा,
क्योंकि अब वो जज़्बा ही नहीं बचा।
दिल अब भी वहीं रुका है,
जहां तूने इसे तोड़कर छोड़ दिया था।
तू थी तो सब कुछ था,
अब कुछ भी नहीं है।
दिल टूटा तो समझ आया,
कि मोहब्बत सिर्फ लफ्ज़ों की नहीं, नसीब की भी कहानी है।
मैंने तुझसे सिर्फ प्यार किया,
पर तूने मुझे इम्तिहान बना दिया।
अब हर धड़कन तुझसे सवाल करती है —
क्या मैं वाकई इतना गलत था?
टूटकर चाहा था तुझे,
इसलिए बिखर गया हूं।
अब खुद से भी नज़रें नहीं मिलती,
क्योंकि तुझे खोकर मैं खुद को खो बैठा हूं।

जिसे दिल में बसा लिया था दुनिया से छुपाकर,
आज वही सबसे ज्यादा पराया लग रहा है।
मेरे टूटे दिल की खामोशी भी अब,
तेरे नाम की सदा लग रही है।
वो कहती थी – “तेरे बिना जी नहीं सकती”,
आज बिना बताए ही किसी और की हो गई।
हम बैठे हैं उस मोड़ पर अब भी,
जहां से उसने मुड़ना सीखा था, निभाना नहीं।
कभी उसकी बातों में ज़िन्दगी थी,
आज उन्हीं बातों ने मुझसे ज़िन्दगी छीन ली।
वो गई तो कुछ नहीं बोला,
पर दिल हर रोज़ उसका नाम लेकर रोया।
हमने उसे दिल दिया, वक़्त दिया,
पर उसने हमें सिर्फ बहाने दिए।
अब मोहब्बत का नाम सुनते ही,
एक टूटा हुआ लड़का अंदर से कांप जाता है।
दिल का टूटना अब आदत बन गई है,
हर मोहब्बत अधूरी कहानी बन गई है।
हम वो हैं जो सबसे ज़्यादा वफादार निकले,
और सबसे ज्यादा बर्बाद भी।
उसने कहा था – “मैं कभी छोड़कर नहीं जाऊंगी”,
आज वही सबसे दूर है।
प्यार किया था ताउम्र निभाने के लिए,
पर उसने तो छोड़ना वक्त के साथ सीख लिया।
मेरी मोहब्बत उसके लिए एक फेज़ थी,
और उसकी जुदाई मेरे लिए सज़ा बन गई।
अब किसी अपने से भी डर लगता है,
क्योंकि बेवफ़ाई अब चेहरों में छिपी होती है।
मैं हँसता हूं तो सबको लगता है खुश हूं,
पर कोई नहीं जानता —
कि मुस्कान के नीचे एक टूटा हुआ दिल अब भी तुझसे वफ़ा कर रहा है।
मैंने तो तेरे लिए खुद को खो दिया,
और तूने मेरे लिए किसी और को पा लिया।
अब दिल से तेरा नाम नहीं मिटता,
और तू कहती है – “मैं तो कभी सीरियस थी ही नहीं।”
ना कोई शिकवा है, ना शिकायत तुझसे,
बस अब खुद से ही सवाल करते हैं।
कि क्या सच में गलती हमारी थी?
या तूने बस खेल समझा था हमारी मोहब्बत को?

सबके बीच रहकर भी अकेला हूं,
हँसते हुए चेहरे के पीछे बहुत झेला हूं।
तन्हाई अब दोस्त बन गई है मेरी,
जिससे हर रात चुपके से बातें करता हूं।
कभी सोचा था किसी के साथ ज़िन्दगी बिताऊंगा,
आज तन्हाई के साए में खुद को ही समझा रहा हूं।
वो तो साथ छोड़ गई वक़्त के साथ,
मैं आज भी उसी पल में जिया जा रहा हूं।
लोग कहते हैं – मर्द रोते नहीं,
पर कोई नहीं जानता हम कितनी रातें जागे हैं।
इस तन्हाई की चादर ओढ़े,
हर ख्वाब को खुद से दूर भागे हैं।
कमरे की दीवारें अब मेरे हालात समझती हैं,
क्योंकि बाहर की दुनिया सिर्फ हँसी देखती है।
जो दिल में तूफान है वो तन्हाई जानती है,
वरना लोग तो बस मज़बूत कहते हैं।
ना कोई सुनने वाला, ना कोई समझने वाला,
बस तन्हाई है जो हर रोज़ गले लगाती है।
वो जो थे कभी सब कुछ,
अब यादें बनकर रुलाती हैं।
ख़ामोशियों में भी अब आवाज़ें सुनाई देती हैं,
तेरे जाने के बाद तन्हाई कुछ ज्यादा ही करीब हो गई है।
अब नींद भी रूठ जाती है मुझसे,
और सपने सिर्फ तेरी परछाई लाते हैं।
मुझे अब तन्हाई से मोहब्बत हो गई है,
कम से कम ये बेवफ़ा तो नहीं निकली।
जो हर किसी के जाने के बाद भी साथ है,
वो मेरी सबसे वफ़ादार तन्हाई है।
रात भर बातें करता हूं खुद से,
कि कोई तो हो जो सुने मुझे।
दिल के बोझ को कम करने को,
तन्हाई के सिवा कोई रास्ता नहीं।
इस तन्हाई ने बहुत कुछ सिखा दिया,
खुद को समेटना, खुद को संभालना।
अब कोई साथ दे या ना दे,
मैं खुद ही खुद का सहारा हूं।
ना शिकवा है किसी से, ना शिकायत रही,
बस तन्हाई ही अब मेरी आदत रही।
जिसे सबने नजरअंदाज किया,
वो लड़का आज भी अंदर से टूटा हुआ है।